दाखिल-खारिज से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
दाखिल-खारिज एक कानूनी प्रक्रिया है जिसके द्वारा भूमि के
स्वामित्व में परिवर्तन दर्ज किया जाता है। जब कोई व्यक्ति किसी भूमि को खरीदता है, बेचता है, या
किसी अन्य तरीके से उसका स्वामित्व बदलता है, तो यह परिवर्तन सरकारी रिकॉर्ड (जमाबंदी पंजी) में की जानी होती है। इस परिवर्तन की प्रक्रिया को दाखिल-खारिज कहा जाता है।
दाखिल-खारिज आवेदन का
निष्पादन बिहार भूमि दाखिल-खारिज अधिनियम,
2011, बिहार भूमि दाखिल-खारिज नियमावली, 2012 तथा समय-समय पर अधिनियम/नियमावली में किए
गए संसोधनों/ परिपत्रों में निहित प्रावधानों के आलोक में की जाती है।
इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य भूमि के दाखिल-खारिज की
प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाना है। यह अधिनियम भूमि के स्वामित्व में
परिवर्तन को त्वरित और कुशलतापूर्वक दर्ज करने के लिए एक कानूनी ढांचा प्रदान करता
है।
अगर कोई व्यक्ति किसी
उपाय द्वारा किसी होल्डिंग अथवा उसके भाग का अधिकार हासिल करता है तो अधिकार हासिल करने के दस्तावेज़ के आधार पर
दाखिल-खारिज के लिए अधिकार हासिल करने के 90
दिनों के भीतर आवेदन कर सकता है। अधिकार
हासिल करने के उपाय तथा आवश्यक दस्तावेज़ निम्नलिखित हैं:
(क) क्रय-विक्रय, दान - निबंधित दस्तावेज/ दर केवला
(ख) विनिमय - निबंधित दस्तावेज/ दर केवला
(ग) होल्डिंग का बंटवारा - सक्षम नयायालय द्वारा पारित बटवारा के आदेश की छाया प्रति अथवा निबंधित बटवारा दस्तावेज की छाया प्रति अथवा सभी फरिक द्वारा हस्ताक्षरित आपसी बटवारा दस्तावेज की छाया प्रति अथवा पंचायती बटवारा की छाया प्रति के साथ-साथ सभी फरिक की लिखित सहमति ।
(घ) विरासत/निर्वसीयत उत्तराधिकार अथवा वसीयती - मृत्यु प्रमाण पत्र तथा वंशावली
(ङ) विल - प्रोबेट आदेश के साथ वसीयत
(च) सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के अधीन न्यायालय का आदेश / डिक्री - सक्षम न्यायालय द्वारा सम्बन्धित भूमि के स्वत्व वाद के सम्बन्ध में पारित न्यायिक आदेश की छाया प्रति।
(छ) बिहार भूमि विवाद समाधान अधिनियम, 2009 के अंतर्गत न्यायालय का आदेश/डिक्री - सक्षम न्यायालय द्वारा सम्बन्धित भूमि के सम्बन्ध में पारित न्यायिक आदेश की छाया प्रति।
(ज) सक्षम प्राधिकारी द्वारा सार्वजनिक भूमि का बंदोबस्त/हस्तांतरण/असाइनमेंट - पर्चा की प्रति
(झ) भू-अर्जन अधिनियम, 1894 के अन्तर्गत अर्जन - अधिघोषणा तथा अवार्ड की प्रति
(ञ) बिहार भूदान यज्ञ अधिनियम, 1954 के अधीन प्रदत्त भूमि - पर्चा की प्रति
(ट) बिहार प्रश्रय प्राप्त व्यक्ति वासगीत काश्तकारी अधिनियम,1947 के अधीन वासगीत स्थल की बन्दोबस्ती - पर्चा की प्रति
(ठ) क्रय नीति, 2010 के अधीन महादलित परिवारों के लिए रैयती भूमि का त्रिपक्षीय क्रय - निबंधित दस्तावेज़ तथा पर्चा की प्रति
(ड) कोशी क्षेत्र (रैयतों को भूमि-वापसी) अधिनियम,1951 के अधीन पूर्व रैयत को भूमि का प्रत्यावर्त्तन - रद्द करने की अधिसूचना की प्रति
(ढ) भू-अर्जन अधिनियम, 1894 के अधीन पूर्व रैयत को भूमि का प्रत्यावर्त्तन - रद्द करने की अधिसूचना की प्रति
(ण) बिहार भूमि सुधार (अधिकतम सीमा निर्धारण एवं अधिशेष भूमि अर्जन) अधिनियम,1961 के अंतर्गत अधिशेष भूमि का बंदोबस्त - पर्चा की प्रति
यदि 90 दिनों के भीतर दाखिल खारिज याचिका दायर नहीं की जाती
है, तो दाखिल खारिज याचिका के साथ विलंब माफी
याचिका संलग्न करनी होगी, जिस पर अंचल अधिकारी उसकी योग्यता
के आधार पर निर्णय लेंगे।
अगर आवेदक भूमि का अधिकार जमाबंदी रैयत से प्राप्त करता है
तो दाखिल-खारिज के लिए आवेदन करने के लिए उपरोक्त आवश्यक दस्तावेजों में के अलावे
किसी अन्य दस्तावेज़ की जरूरत नहीं है। अगर भूमि का अधिकार जमाबंदी रैयत से भिन्न
किसी अन्य व्यक्ति से हासिल की जाती है तो उपरोक्त दस्तावेज़ के अतिरिक्त वंशावली, जमाबंदी रैयत से बिक्रेता का संबंध संबंधी
साक्ष्य तथा भूमि के अन्य हिस्सेदारों से
भूमि के स्वामित्व अंतरण संबंधी सहमति पत्र संलग्न करना आवश्यक हैं।
दाखिल-खारिज आवेदन पूर्णतः ऑनलाइन है अतः सबसे महत्वपूर्ण
बात यह है की आवेदन हमेशा आवेदक स्वयं के लॉगिन से करें ताकि आवेदन के पश्चात की
सभी गतिविधियों से वह अवगत रहे तथा आवश्यक होने पर उस आवेदन के संबन्धित कार्रवाई
कर सके।
बिहार में दाखिल-खारिज के लिए आवेदन केवल ऑनलाइन माध्यम से किया
जा सकता है।
आवेदन
दायर करने की प्रक्रिया निम्नवत है:
https://biharbhumi.bihar.gov.in/ को खोलें तथा “ऑनलाइन दाखिल-खारिज आवेदन करें” पर क्लिक करें।
आप अपना मोबाईल न0 की सहायता
से लॉगिन करें (अगर नए user है तो पहले आप
रजिस्ट्रेशन करें) तथा “ऑनलाइन दाखिल-खारिज आवेदन करें” पर क्लिक करें। अपना जिला, अंचल चुन कर “नया दाखिल-खारिज आवेदन करें”
बटन पर क्लिक करें। अब आवेदक को दाखिल-खारिज आवेदन हेतु आवेदक का विवरण, खाता-खेसरा का विवरण, क्रेता/वंशज/हिस्सेदार का विवरण, विक्रेता/पूर्व
जमाबंदीदार का विवरण, दाखिल-खारिज हेतु संबन्धित सभी
साक्ष्य अपलोड करने का सेक्शन उपलब्ध होगा।
दाखिल-खारिज आवेदन करने के लिए
यह आवश्यक है कि जिस
खेसरा की दाखिल-खारिज होनी है उस खेसरा की बिक्रेता/ पूर्वत जमाबंदी रैयत की
जमाबंदी ऑनलाइन हो तथा उस खेसरा में खारिज होने हेतु प्रयाप्त रकबा दर्ज हो।
आवेदक
प्रत्येक सेक्शन का विवरण भर कर “Save & Next” बटन पर क्लिक करें। सभी सेक्शन का विवरण भरने के उपरांत क्रेता के
मोबाइल न0 का OTP से सत्यापन करना होगा। सत्यापन के
उपरांत आपको भरे हुये आपके आवेदन का preview दिखाई देगा। सभी विवरण सही होने पर “Final Submit” का बटन दबाएँ। आपको आवेदन की पावती प्राप्त होगी, जिसमे आवेदन जमा करने का एक Token
number दिया रहेगा।
भूमि का
स्वामित्व अर्जित करने के उपरांत रैयत दाखिल-खारिज हेतु आवेदन स्वयं कर सकता है, किसी
सेवा प्रदाता या किसी तृतीय पक्ष से ऑनलाइन करा सकता है।
दाखिल-खारिज
आवेदन हेतु आवश्यक दस्तावेज़ के
अतिरिक्त विक्रेता/ पूर्व के जमाबंदी रैयत की जमाबंदी का ऑनलाइन होना तथा उक्त जमाबंदी में
खारिज होने वाला खाता, खेसरा तथा रकबा का होना
अनिवार्य है। ऐसे में दाखिल-खारिज हेतु आवेदन करने वाले रैयतों से अनुरोध है की
आवेदन से पहले “विक्रेता/ पूर्व के जमाबंदी रैयत” जिसकी जमाबंदी से भूमि खारिज
होनी है को ऑनलाइन पोर्टल पर देख लें।
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग राज्य के
सभी नागरिकों से अपील करता है की भूमि हमेशा जमाबंदी रैयत से ही क्रय करें। भूमि क्रय से पूर्व बिहारभूमि पोर्टल पर जमाबंदीका ऑनलाइन होना तथा उक्त जमाबंदी में खारिज
होने वाला खाता, खेसरा तथा रकबा का ऑनलाइन उपलब्ध होना आवश्यक है इसे आवश्य जांच लें।
दाखिल-खारिज आवेदन आप उपरोक्त वर्णित
विधि से ही करेंगे लेकिन ऐसी स्थिति में आपको सभी हिस्सेदारों का लिखित सहमति पत्र संलग्न करना होगा।
अगर
दाखिल-खारिज होने वाले भूमि के
बिक्रेता या पूर्वत जमाबंदी रैयत की जमाबंदी ऑनलाइन नहीं है या जमाबंदी ऑनलाइन है
लेकिन उस जमाबंदी में संबन्धित खाता, खेसरा और रकबा का विवरण “विक्रेता/ पूर्व के
जमाबंदी रैयत” की जमाबंदी में नहीं है तो पहले “परिमार्जन
प्लस” पोर्टल के
माध्यम से “विक्रेता/ पूर्व के जमाबंदी रैयत” की जमाबंदी कोलिने कराएं या संबन्धित
सुधार करवाएँ। तत्पश्चात भूमि के दाखिल खारिज हेतु आवेदन करें।
कभी नहीं,
मिलजुमले रकबा का दाखिल-खारिज संभव नहीं है। वर्तमान में मिलजुमले रकबा का निबंधित
दस्तावेज़ पर रोक है, अगर आपके पास पूर्व का कोई दस्तावेज़ हो
जिसमें मिलजुमले रकबा दर्ज है तो आप emapi पोर्टल के माध्यम
से अंचल अमीन द्वारा मापी कराकर सभी खेसरा का अलग अलग रकबा करने के उपरांत
दाखिल-खारिज हेतु आवेदन कर सकते हैं।
परिमार्जन प्लस पोर्टल के माध्यम से बिक्रेता/ पूर्व
जमाबंदी रैयत अपने साक्ष्य दस्तावेज़ के आधार पर सभी खेसरा का अलग अलग
रकबा चढ़वा सकते हैं।
दाखिल-खारिज वाद से संबन्धित साक्ष्य दस्तावेज़ आप अपने लॉगिन (जिस लॉगिन से दाखिल-खारिज वाद दायर किया गया हो) से जमा कर सकते है।
वैसे वाद जिनमें आपत्तियां प्राप्त
नहीं हुई हों, उनमें दाखिल खारिज
याचिका की प्राप्ति के 35 कार्य दिवसों के
भीतर जैसा अंचल अधिकारी उचित समझे वैसा आदेश पारित कर, निपटारा किया जाएगा।
वैसे वाद जिनमें आपत्तियाँ प्राप्त हुई हों, उनमें सम्बन्धित पक्षों को सुनवाई तथा साक्ष्य प्रस्तुत
करने का,यदि कोई हो, युक्तियुक्त अवसर देने के उपरान्त, दाखिल खारिज याचिका प्राप्त होने के 75 कार्य दिवसों के
भीतर,जैसा अंचल अधिकारी उचित समझे वैसा आदेश पारित कर, निपटारा किया जाएगा।
दाखिल-खारिज पूर्णतः निःशुल्क है।
दाखिल-खारिज के आवेदन का निष्पादन हेतु निम्नलिखित
प्रक्रिया निर्धारित है:
आवेदन की संवीक्षा (Scrutiny): सभी विवरणी के साथ आवेदक द्वारा “Final Submit” किया गया आवेदन अंचलाधिकारी के समक्ष ऑनलाइन माध्यम से उपलब्ध होगा। आवेदक द्वारा समर्पित आवेदन का अंचलाधिकारी द्वारा संवीक्षा की जाएगी। संवीक्षा अंचलाधिकारी स्वयं या राजस्व कर्मचारी के माध्यम से संवीक्षाकरा सकते है। संवीक्षा के दौरान अगर आवेदन सही पाया जाता है तो अंचलाधिकारी के न्यायालय द्वारा उस आवेदन को स्वीकार कर लिया जाएगा तथा उस आवेदन को एक दाखिल-खारिज वाद संख्या मिल जाएगा।
संवीक्षा के दौरान अगर आवेदन में कोई त्रुटि या आवश्यक दस्तावेज़ की कमी पाई जाती है तो अंचलाधिकारी के न्यायालय द्वारा उस आवेदन को सकारण आवेदक के लॉगिन में वापस कर दिया जाएगा। जो आवेदक के लॉगिन में दिखाई देगा। आवेदक त्रुटि सुधार कर आवेदन को पुनः जमा कर सकता है। तत्पश्चात उस आवेदन को एक दाखिल-खारिज वाद संख्या मिल जाएगा।
राजस्व कर्मचारी का प्रतिवेदन: वाद संख्या मिलने के बाद उस दाखिल-खारिज वाद के प्रत्येक खेसरा का भौतिक सत्यापन प्रतिवेदन राजस्व कर्मचारी द्वारा अंकित किया जाएगा तथा उस वाद को आगे की कार्रवाई हेतु राजस्व अधिकारी के पास ऑनलाइन अग्रसारित कर दिया जाएगा।
राजस्व अधिकारी का प्रतिवेदन: राजस्व अधिकारी राजस्व कर्मचारी के प्रतिवेदन की जांच कर दाखिल-खारिज हेतु अपना मन्तव्य अंकित करेंगे तथा आगे की कार्रवाई हेतु अंचलाधिकारी के पास ऑनलाइन अग्रसारित करेंगे।
आम-खास सूचना निर्गत करना: अंचलाधिकारी राजस्व अधिकारी तथा राजस्व कर्मचारी के प्रतिवेदन की जांच कर दाखिल-खारिज आदेश से पूर्व खेसरा के दाखिल-खारिज संबंधी आम सूचना तथा खास सूचना निर्गत करेंगे तथा 14 दिनों तक आपत्ति आने के प्रत्याशा में आदेश पारित करने से वंचित रहेंगे।
आपत्ति प्राप्त होने पर सुनवाई: 14 दिनों के नोटिस पीरियड के दौरान आपत्ति दर्ज होने की स्थिति में अंचलाधिकारी सभी पक्षों की सुनवाई करेंगे तथा सुनवाई के उपरांत अपना आदेश पारित करेंगे।
दाखिल-खारिज हेतु आदेश निर्गत करना: 14 दिनों के नोटिस पीरियड के उपरांत आपत्ति दर्ज नहीं होने की स्थिति में अंचलाधिकारी द्वारा राजस्व कर्मचारी/ राजस्व अधिकारी के प्रतिवेदन के आधार पर या आवश्यक होने पर खुद के जाँच के उपरांत दाखिल-खारिज का आदेश पारित किया जाएगा।
शुद्धि पत्र निर्गत करना: अगर दाखिल-खारिज स्वीकृति का आदेश पारित है तो अंचलाधिकारी स्वीकृति आदेश के उपरांत दाखिल-खारिज शुद्धि पत्र निर्गत करेंगे। ऐसा करते ही स्वतः प्रश्नगत खेसरा का रकबा पूर्व रैयत से खारिज होकर नए रैयत के नाम से दाखिल हो जाएगा तथा दाखिल-खारिज की प्रक्रिया सम्पन्न हो जाएगी।
दाखिल-खारिज टोकन नंबर की स्थिति
आप https://biharbhumi.bihar.gov.in/ पर उपलब्ध मेनू “Mutation Defect Check Status” पर क्लिक कर देख सकते हैं.
अगर दाखिल-खारिज आवेदन के scrutiny के समय कोई त्रुटि पाई जाती है तो
आवेदन आवेदक के लॉगिन में त्रुटि सुधार हेतु सकारण वापस कर दी जाती है। आवेदक अपने
स्वयं के लॉगिन से “Application Scrutiny Status” से उपलब्ध कराये गए विकल्प से आवेदन में सुधार या आवश्यक
दस्तावेज़ पुनः जमा कर सकते हैं।
भूमि के क्रय-बिक्रय मात्र से ही
भूमि राजस्व अभिलेखों में स्वामित्व का अंतरण नहीं किया जाता है। स्वामित्व के
अंतरण हेतु दाखिल-खारिज की प्रक्रिया का पालन करना होता है। अगर क्रेता
दाखिल-खारिज हेतु आवेदन देता है तो आप उस आवेदन के विरुद्ध आपत्ति दर्ज कर अपना पक्ष
रख सकते हैं। अगर आपकी आपत्ति सही पाई जाती है तो अंचलाधिकारी द्वारा भूमि के
स्वामित्व का अंतरण नहीं किया जाएगा।
दाखिल-खारिज वाद के विरुद्ध आपत्ति
दर्ज करना बिलकुल ही आसान है। आपत्ति दर्ज करने हेतु https://biharbhumi.bihar.gov.in/ पोर्टल पर लॉगिन कर “दाखिल-खारिज
वाद पर आपत्ति दर्ज करें” पर क्लिक कर वाद को सर्च करें तथा अपना आपत्ति लिख
संबन्धित दस्तावेज़ को अपलोड कर सबमिट बटन पर क्लिक कर अपनी आपत्ति दर्ज कर सकते
है।
नहीं, नियमतः किसी भी जमाबंदी को
दाखिल-खारिज हेतु लॉक करने का प्रावधान नहीं है। हाँ, अगर आप चाहें तो आप अपनी जमाबंदी
से संबन्धित होने वाले हर गतिविधि से अवगत हो सकते है तथा आपकी जमाबंदी से किसी भी
दाखिल-खारिज वाद के निष्पादन के कम से कम 15 दिन पूर्व आप अवगत हो सकते हैं। अगर
आपकी जमाबंदी से निष्पादित की जा रही दाखिल-खारिज से आप सहमत नहीं हैं तो आप
दाखिल-खारिज वाद पर आपत्ति दर्ज कर अपनी जमाबंदी से होने वाले दाखिल-खारिज को रद्द
करा सकते हैं।
आपकी जमाबंदी में होने वाले बदलाव/
दाखिल-खारिज transactionसे पूर्व आपको अवगत कराने का
प्रावधान है, लेकिन उसके लिए आपको अपनी
जमाबंदी/ खेसरा पर SMS Alert सुविधा
को चुनना होगा।
SMS Alert सेवा राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग
द्वारा उपलब्ध कराई जा रही पूरे भारत वर्ष में एक अनोखी पहल है। इस सेवा के
अंतर्गत किसी भी नागरिक को किसी भी खेसरा पर SMS Alert सेवा चुनने का विकल्प उपलब्ध कराता
है। ऐसा करने से उस खेसरा पर होने वाले बदलाव/ दाखिल-खारिज transaction से पूर्व आपको SMS के माध्यम से अवगत कराया जाएगा।
अगर यह बदलाव/ दाखिल-खारिज transaction आपके द्वारा नहीं कराया जा रहा है तो आप उक्त के खिलाफ
आपत्ति दर्ज कर सकते हैं।
दाखिल-खारिज वाद स्थिति देखने के
लिए आप https://biharbhumi.bihar.gov.in/ को खोलें तथा “दाखिल-खारिज आवेदन
स्थिति देखें” पर क्लिक कर अपना जिला, अंचल, वाद संख्या, वित्तीय वर्ष चुनें तथा Search बटन पर क्लिक कर आप अपने वाद की
स्थित से अवगत हो सकते हैं।
सुनवाई
हेतु SMSके माध्यम से सुनवाई की तिथि की
सूचना दी जाती है साथ ही भौतिक सूचना का तमिला
भी कराया जाते है।
अगर कोई
भी पक्ष या व्यक्ति किसी भी दाखिल-खारिज आदेश से संतुष्ट नहीं है तो वह भूमि सुधार उप समाहर्ताके समक्ष उस दाखिल-खारिज आदेश के
विरुद्ध आदेश पारित होने के 30 दिनों के भीतर अपील वाद दायर कर सकता है।
यदि 30 दिनों के भीतर दाखिल खारिज अपील वाद दायर नहीं की
जाती है, तो दाखिल-खारिज अपील वाद के साथ विलंब माफी
याचिका संलग्न करनी होगी, जिस पर भूमि सुधार उप समाहर्ता उसकी
योग्यता के आधार पर निर्णय लेंगे।
अगर कोई पक्ष या व्यक्ति भूमि सुधार उप समाहर्ता के
न्यायालय आदेश से संतुष्ट नहीं है तो वह समाहर्ता/ अपर समाहर्ता के न्यायालय में
पुनरीक्षण वाद दायर कर सकता है। अगर कोई पक्ष या व्यक्ति पुनरीक्षण वाद आदेश से भी
संतुष्ट नहीं है तो वह बिहार भूमि न्यायाधिकरण या सिविल कोर्ट के अधीन अपना वाद
दायर कर सकता है।